जब मयं अमरेवं गाँव के मुहाटी लईका खेलत रिहिन भँवरा बांटी पीपर खांदा मा कूदत रिहिन बेंदरा सईंतत गोबर मोल दिखिस मंटोरा जान गयेंव इहीच मोर गाँव ए मन मोर गावे दीदी तपत कुरु तपत कुरु मन मोर गावे दीदी तपत कुरु तपत कुरु || गाड़ी बईला कुदावत भईया घर आवे लोटा पानी धरे भौजी […]
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