मुसवा गनेश भगवान ल कहिस, महाराज मैं तोला कतेक दिन ले बोहे-बोहे गिंजरत रइहौं पेट पीठ में बुता करत-करत मोर उमर ह पहा जाही। महू ला अपन गिरस्थी बसाना हे। मैं अपन बर जोड़ी पसंद कर डारे हाववं। अब बतावव मोर बिहाव करहू कि नहीं। अगर तुमन मोर बिहाव ल नइ करहू तव में हा […]
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सरग असन मोर गांव
”लोक कला ल बिगाड़ने वाला कलाकार मन छत्तीसगढ़ जइसे सुंदर राज भारी कलंक आए। फेर कहीथें न कि ”टिटही के पेले ले पहार ह नई पेलाय।” अइसने हे हमर लोककला ल बिगाड़-बिगाड़ के देखाने वाला कलाकार मन अपन जिनगी म जादा सफल नई हो सकय। जल्दी नाम दाम कमाए के चककर म जउन कलाकार परही […]
कहिनी : बेर्रा टूरा बेर्रा टूरा
सहदेव गुरूजी के ओ दिन इसकूल में पहिली दिन रहीस। ओहा पहिली कक्षा में लइका मन के हाजिरी लेवत रहीस। ओतके बेरा इसकूल में लइका मन गोहार पारे बर धर लीन। ”बेर्रा टूरा बेर्रा टूरा अपन दाई बर जठाथे पैरा” कहीके। गुरूजी कक्छा ले बाहिर निकल के देखीस तव उहां एक झन सोगसोगवान गड़हन के […]
कहिनी : करनी दिखथे मरनी के बेरा
सुकवारो अब बस्ती में किंजर-किंजर के साग-भाजी बेचय अउ कुरिया में राहय। ओला एक बात के संतोष रहीस कि ओकर दूना लइका मन ओकर आंखी के आघु में हावय। ओहा अपन लइका मन के खाय पीये ले लेके कपड़ा लत्ता तक के खरचा उठाय बर धरलीस। ओ दिन मेहा पटेवा बाजार म गिंजरत रहेंव ओतके […]
दाई अउ बबा के वेलेन्टाइन डे – कहिनी
”सुफेद बबा हा अतेक सुंदर बंसरी बजावय कि ओकर सोर दस कोस ले बगरे रहीस। का रामायन मण्डली, का नाचा मण्डली, कीर्तन, राम सप्ताह सबे जगह ले बबा बर बुलावा हा आवय। एती दाई ला बबा के बंसरी नई सुहावय। वइसने बबा ला घलो दाई के घेरी-बेरी दखल देवई हा नई सुहावय। दाई हा तो […]
बकठी दाई के गांव
एती बकठी दाई के मिहनत के हाथ रहीस। ओहा बिहानिया ले रतिहा सुतत तक काहीं न काही बुता करते राहय। ओकर घर के मन घलो मिहनत करे म बरोबरी ले ओखर संग देवयं। तीर- तार के गांव म इज्जत बाढ़गे, लइका मन ल बने संस्कार मिलीस।कोनो माई लोगन ला अगर कोनो बकठी कही देही तो […]
गांव के गुरूजी – कहिनी
”गांव के गुरूजी कहिस के छोटे-छोटे बात में सरकार के मुंह देखना ठीक नई होवय। सरकार तो हमन ल स्कूल के भवन बना के दे दे हावय। अब ये भवन के सुरक्षा अउ मरम्मत के जिम्मेदारी हमर गांव वाला मन के आय। ये स्कूल में हमर लइका मन पढ़े बर आथें। ओखर मन के सुरक्षा […]