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कविता

खरपतवार के निंदाई

बबा कहिथे कस रे नाती ये का हे तोर खुरापाती खेत-खार मा कतका बुता परे हे फेर तोर आखी कोन कोती गडे हे ए बाबा ! ते मोला बता घान हा बोवागे खातु घलो छितागे त अउ का बुता परे हे अरे बईहा ! जा बारी-बखरी ला बने निहार चारो डाहार खरपतवार मन बाडहे हे […]