दिरिस्य -1 सू़त्रधारः- बड़खा हवेली आप नाममात्र बर बढ़खा हवेली हावय, जिहॉं रात दिन कमिया कमेलिन मन अउ रेजा कुली मन के भीड़ लगे रहय, उहॉं आज हवेली के बड़की बोहोरिया आपन हाथ ले सूपा मा अनाज पछनत हावय, इ हाथमन मा मेंहदी लगाके गॉंव के नउवाइन परिवार पलत रिहिस।काहॉं चल दिस वो दिन हर, […]
Tag: Sitaram Patel
झगरा फेंकी डबरा
रोजेच के वोइच , हावय कांव कांव जाओं ता छाँड़ के, घर ला काहाँ जाँव सास बोहो के झगरा, दई ददा के झगरा, भई भई के झगरा, भई बहिनी के झगरा दई बेटी के झगरा ददा बेटा के झगरा दई बेटा के झगरा ददा बेटी के झगरा कका काकी के झगरा डौका डौकी के झगरा […]
बिधना के लिखना
घिरघिटाय हे बादर, लहुंकत हे अऊ गरजत हे। इसने समे किसन भगवान, जेल मा जन्मत हे।। करा पानी झर झर झर झर इन्दर राजा बरसात हे। आपन किसन ला ओकर हलधर मेर अमरात हे।। चरिहा मा धर, मुड़ मा बोह,किसन ला ले जात हे। जमुना घलो उर्रा पूर्रा हो,पांव छूये बर बोहात हे।। बिरबिट अंधियारी […]
कातिक
पहला सरग:- उमा के जनम भारत के गंगाहू मा, हे हिमालय पहार। जे हे उड़ती बूड़ती, धरती के रखवार।। धरती ल बनाइन गाय, पीला बन गिरिराज। मेरू ला ग्वाला बना, पिरथू दूहिस आज।। हिमालय रतन के खान, हावय सेता बरफ। महादेव के गला मा, सोभा पाथे सरफ।। हिमालय के चोटी मा, हे रंग बिरंग चट्टान। […]
रासेश्वरी
1- बन्दना 1- कदंब तरी नंद के नंदन, धीरे धीरे मुरली बजाय। ठीक समे आके बइठ जाय, घरी घरी तोला बलाय।। सांवरी तोर मया मा, बिहारी बियाकुल होवय। जमुना के तीर बारी मा ,घरी घरी तोला खोजय।। रेंगोइया मला देख के ,आपन हाथ ला हलाय। गोरस बेचोइया ग्वालिन मला,बनमाली पूछय। कान्हा के मन बसे हस,तोला […]
-1- चुनई आगे, गुर के पाग पागे, बड़का तिहार लागे, गरीबहा के भाग जागे। बोकरा सागे, गांव भर मा पटागे, सुखरू हर मोटागे, कमजोर मन पोठागे।। हाथ जोड़ागे, जन गन ठगागे, मनखे मन मतागे, कोलिहा मन अघवागे। बतर आगे, बतरकिरी भागे, सुख्खा नांगर जोतागे, लागथे बिहान पहागे।। पिरीत लागे, भड़वामन आगे, गांव मड़वा छवागे, बने […]
कारी, कुरसी अउ कालाधन संग दस कबिता
1:- कुरसी अउ कालाधन करजा मा बूड़े हावय दिन ब्यभिचारी रात हांसत हावय बलात्कार होवत हावय दिन रात तन मा मन मा लोकतंत्र मा सबो समान हावय बलात्कारी मन के सजा कुरसी अउ कालाधन हावय बरगंडा बर तरसत रइथन हामन उनकर करा पूरा चंदन बन हावय 2:- रूकावट रूकावट बर खेद हावय इ रूकावट मा […]
मया के मुकुर
तोर जोबन देख सखी, मुँह मा टपके लार। हिरदे मा हुदहुदी मारे, होवय ऑंखी चार। कैमरा देखत देखत, जोबन छुआय हाथ। हिरदे कुलकत हे मोर, पा सखी तोर साथ।। दिखे सोनकलसा तोर, तरिया मॉंजत बरतन। मैं सुध बुध भुलॉंय सखी, देख तोर नानतन।। कोर दों तोर सखी मैं, कोवर कोंवर बाल।
दसरथ:- ओ दिन निकल जाथिस चक्का गिर जाथें मैंहर रथ ले दसरथ हो जाथें सिकार मैंहर बइरी के फेर नी होथिस इसने मोर दसा अजुध्या के राजा आज मैंहर नाक औरत के आघू मा रगड़त हावौं आज मैंहर जाने रूप के मोहाई मया नी हावय अभिसाप हावय समहर के कइसने फंॅसात हावय बिफरिन नागिन बन […]
मन के मतवार मन ला सौंपत हों आपन गोठ बच्चन के बानी ला सुन के मैंहर बचपन ले बया गए रहेंव, उंकर बानी के बान हर मोर हिरदे मा लागे हावय, कतको तीरथों हिटत नीए, एकरे बर तुमन ला बलाय हावौं, देखिहा आस्ते आस्ते तीरिहा, मोर हिरदे के बात हावय, ओकर तीर बने सचेत होके […]