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गोठ बात

मै मै के चारों डाहर घूमत साहित्यकार – सुधा वर्मा

एक कार्यकरम म कुछ साहित्यकार मन संग भेंट होईस। एक लेखक जेन कवि घलो आय आके पांव छुईस अउ बइठगे। थोरिक बेरा मा कुछु-कुछु गोठियाय के बाद म कहिथे, मैं ह छत्तीसगढ़ के टॉप के बाल साहित्यकार आंव। अभी-अभी थोरिक दिन पहिली एक महिला साहित्यकार फोन कर-कर के कई झन ल कहिस के मैं ह […]

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गोठ बात

जुन्ना सोच लहुटगे हमर रंग बहुरगे

सर्दी के मौसम के जाती अउ गरमी के आती के बेरा एक संधिकाल आय। ये संधिकाल के मौसम के ‘काय कहना?’ ठंड के सिकुड़े देह मौसम के गर्माहट म हाथ गोड़ फैलाए ले लग जथे। खेती के काम निपट जथे। चार महीना बरसात अउ चार महीना ठंड म असकटाए मनखे, खेती के काम ले थके […]

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छत्तीसगढ़ी भाखा

भासा के लड़ाई कहां तक

आज देस के एक राय अपन भासा ल सबके मुड़ ऊपर लादे बर खड़े होगे हावय। मुड़ म जादा वजन लादे मा दू बात हो सकथे। एक तो जादा वजन ल मनखेच्च गिर जही। दूसर, वो ह बोझा ल पटक दिही। ऊंहा अइसने होने वाला है। सब बोझा ल, बने अउ गिनहा रासनपानी, गोबर कचरा, […]

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गोठ बात

नौ बछर के छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ राय जब तक गर्भ म रहिस हे तब तक ओ ह छटपटावत बहुत रहिस हे। कमजोर महतारी ह ओखर ऊपर, धियान कम दिस। छत्तीसगढ़ के हुकारू ह दिल्ली तक पहुंचीस, ओखर दु:ख पीरा ल सुनके दिल्ली ह ओखर इलाज करीस। सन् 2000 म छत्तीसगढ़ के जनम होईस। बहुत दु:ख पीरा के संग-संग घर के […]

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गोठ बात

मया बर हर दिन ‘वेलेन्टाइन डे’ होथे

अपन मया ल देखाय बर एक तिहार मनाये जाथे। जेन ल ‘वेलेन्टाइन डे’ कहे जाथे। येला आज जम्मो दुनिया के मन मनाथे। आज मया खतम होगे हावय। तभे तो ओखर बर एक तिहार मनाये बर दिन निश्चित करे हावंय। 14 फरवरी के दिन वेलेन्टाइन नांव के संत पैदा होय रहिस हे। ओ ह परेम के […]

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गोठ बात

बसंत ल देखे बर सिसिर लहुटगे

सिसिर रितु, पतझड़ ल न्यौता दिस ‘आ अब तैं आ मैं दूसर जगह के न्यौता म जात हावंव। तोला इंहा बसंत के आय के तइयारी करना हे। प्रकृति ल अइसे संवार दे के बसंत आके देखय त नाचे ले लग जाय।’ भौंरा, तितली, कोयली सब कान दे के सुनत रहिन हे। पतझड़ ह जझरंग ले […]

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गोठ बात

आज जरूरत हे सत के

कोनो भी चीज के जब अति होथे त ओह फुट जाथे। कर्मकांड, पाखंड के अति ह, जनम दिस सत ल। येला बगराय बर, सतबर जागरिति लाय बर कबीर ह अलख जगइस। उही कड़ी म निर्गुण ब्रह्म के सुग्घर ममहाती हवा के झोंका अइस। ये हवा ल पठोवत रहिन गुरु घासीदास सत्यनाम या फेर सतनाम के […]

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गोठ बात

छत्तीसगढ़ी भाषा साहित्य अउ देशबन्धु

अभी-अभी जुलाई के देशबन्धु अपन स्वर्ण जयंती मनइस हावय। रायपुर के निरंजन धरमशाला म बहुत बडे आयोजन होईस। हमर मुख्य मंत्री डॉ. रमन सिंह अवइया पचास साल के बाद काय होही एखर ऊपर व्याख्यान दीस। व्याख्यान बहुत बढ़िया रहिस हे। छग के नहीं विश्व के बात होईस जब पूरा विश्व एक हो जही। बहुत अच्छा […]

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गोठ बात

नंदावत पुतरा-पुतरी – सुधा वर्मा

अक्ती (अक्षय तृतीया) बैसाख महिना के तीज ल कहिथें, तीज अंजोरी पाख के होथे। ये दिन ल अब्बड़ पवित्र माने गे हे। अक्षय तृतीय के कहानी सुनव: एक राजा के सन्तान नई रहिस हे। रानी बहुत उदास राहय। रानी ह कखरो घर भी बिहाव होवय त एक झांपी समान भेजय। एक दिन के भात रानी […]

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गोठ बात

कहिनी म नारी पात्र के सीमा रेखा – सुधा वर्मा

छत्तीसगढ़ी कहानी म नारी के रूप काय होना चाही। कहानी के नायिका, छत्तीसगढ़ के नारी के आदर्श होना चाही या प्रतिनिधि होना चाही? ऐखर मतलब होईस के घर, परिवार बर बलि चढ़गे या फेर शराबबंदी करवा के एक नेता के रूप म नाव कमा लीस। जेन नारी ह अपन गांव म सबके मदद करीस, शराबी […]