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कविता

वेलनटाइन अकारथ मनावत हव

उम्मर असन उम्मर नही अउ “लब” फरमावत हव बगइचा कोनटा म मुड़ी जोरे आशिकी गोठियावत हव अरे कुछ तो फिकर करव दाई- ददा के मरजाद के काबर बिदेशी बेलेंटाइन ला अकारथ मनावत हव चार दिन पाछु ले मौसम बनावत हव कोनो लाली गुलाब,कोनो आनी-बानी गिफ्ट बिसावत हव मोबाइल-व्हाट्सप के जमाना में छिन नइ लगत हे […]