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गुड़ी के गोठ गोठ बात

काम दहन के आय परब- होली

छत्तीसगढ़ आदिकाल ले बूढ़ादेव के रूप म भगवान शिव अउ वोकर परिवार ले जुड़े संस्कृति ल जीथे, एकरे सेती इहां के जतका मूल परब अउ तिहार हे सबो ह सिव या सिव परिवार ले जुड़े हावय। उही किसम होली जेला इहां के भाखा म होली कहे जाते। इहू हर भगवान भोलेनाथ द्वारा कामदेव ल भसम […]

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गुड़ी के गोठ

आरूग चोला पहिरावय 10 जन

धर्म के नांव म हमर मन ऊपर अन्य प्रदेश के संस्कृति ल खपले के लगातार प्रयास चलत हे। जेकर सेती हमर भूल संस्कृति के उपेक्षा करे जाथे या फेर वोकर ऊपर कोनो आने किस्सा कहिनी गढ़ के वोकर रूप ल बिगाड़ दिए जाथे। जब कभू संस्कृति के बात होथे त लोगन सिरिफ नाचा-गम्मत, खेल-कूद या […]

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गुड़ी के गोठ

छत्तीसगढ़ी के विकास यात्रा

‘छत्तीसगढ़ी के विकासयात्रा ल जाने के जरूरत हे तभे छत्तीसगढ़ी के लेखन ह समझ में आही। छत्तीसगढ़ी ल बोली के मापदण्ड के ऊपर उठाके भासा के मापदण्ड म लिखे जाना चाही। लोकभासा मन ले परिष्कृत ‘हिन्दी’ ल नागरी लिपि के वर्ण माला के सबो अक्षर संग सजा के शुध्द बनाए गीस, वइसने छत्तीसगढ़ी ल घलोक […]

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गुड़ी के गोठ

मन के सुख

अंजली दीदी फूफू दीदी संग माटी मताए अउ गारा अमरे बर जावय। तेकर पाछू एक झन डॉक्टर इहां झाड़ू पोछा के काम करे लागीस। इहें वोला पढ़े अउ आगे बढ़े के माहौल मिलिस। ऊंहा के डॉक्टर अउ नर्स मन ले मिलत प्रोत्साहन के सेती वो ह आया, फेर नर्स अउ फेर नर्स ले डॉक्टर के […]

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छत्तीसगढ़ी भाखा

समय मांगथे सुधार,छत्तीसगढ़ी वर्णमाला एक बहस

एक डहर हम चाहथन के छत्तीसगढ़ी ल चारों मुड़ा विस्तार मिलय, अउ दूसर डहर लकीर के फकीर बने रहना चाहथन। कुआं के मेचका बने रहना चाहथन, त बात कइसे बनही? आज ले सौ-पचास साल पहिली हमर पुरखा मन नानकुन पटका पहिर के किंजरय, आज अइसना पहिरइया मन ला अशिक्षित अउ पिछड़ा कहे जाही। वइसने आज […]

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फिलमी गोठ

फिल्मी गोठ : झन मारव गुलेल

ये बछर ह छत्तीसगढ़ राज बने के दसवां बछर आय। फेर ये दस बछर ह छत्तीसगढ़ी फिलिम के माध्यम ले छत्तीसगढ़िया मन के दस किसम के गति कर डारे हे। निश्चित रूप ले अइसन दृश्य ले बाहिर निकले के जरूरत हे। हम ये बात ल ठउका जानथन के बरसा के पानी ह तुरते उपयोग के […]

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गुड़ी के गोठ

गरजइया कभू बरसय नहीं

तइहा ले ये सुनत आए हवन के ‘गरजइया बादर कभू बरसय नहीं’। अब जब अइसनहा जिनिस ल रोजे अपन आंखी म देखत हवन, त लागथे के हमर पुरखा मन जेन गोठ ल कहि दिए हें, ते मन ओग्गर सोन कस टन्नक हे। ए बात अलग हे के वो मन अइसन हाना ला कोनो सेखिया मनखे […]

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गुड़ी के गोठ

गुड़ी के गोठ : महतारी भाखा म कब होही पढ़ई..?

केहे बर तो छत्तीसगढ़ी ल ए राज के राजभाषा बना दिए गे हवय, फेर अभी तक अइसन कोने मेर नइ जनावत हे के इंहा के सरकार ह एला जमीनी रूप दे खातिर कोनो किसम के जोंग मढ़ावत हे। हां, ए बात जरूर हे के राजनीतिक लाभ ले खातिर राजभाषा आयोग के गठन कर दिस, लाल […]

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गुड़ी के गोठ

गुड़ी के गोठ : आयोग ल अधिकार देवयं

छत्तीसगढ़ी भाखा-संस्कृति के हितु-पिरितु मन के मन म 14 अगस्त 2008 के छत्तीसगढ़ी राजभाषा आयोग के गठन के साथ जेन उमंग अउ उछाह जागे रिहीसे, वे ह वोकर दू बछर के पुरती बेरा म थोर-थोर लरघियाए ले धर ले हवय। अउ एकर असल कारन हे ‘मनसा भरम’ के टूटना। राजभाषा आयोग म जे मन ल […]

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गुड़ी के गोठ

समय मांगथे सुधार – गुड़ी के गोठ

कोनो भी मनखे ह अपन अंतस के भाव ल कोनो दूसर मनखे ल समझाय खातिर जेन बोली के उपयोग करथे, उही ल हम भाषा कहिथन। अउ जब उहीच भाषा ल माध्यम बना के बहुत झन मनखे अपन भाव ल परगट करथें त फेर वोला एक निश्चित रूप दे खातिर लिपि के, वोकर मानक रूप से […]