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कविता

चटनी आमा के – कबिता

नंगत के बइहाये मऊर, ए दे पर बर लटलट ले फरगे।देस के भुइंया ला अमरे बर, आमा के डारा निहरगे॥ मंदरस किरवा कस लइकन, झूमगे, देख आमा के कचरी।जमदूत कस मुछर्रा रखवार, हावय ननमुन के बयरी॥ कीरा परय ये आमा ल, दुब्बर ल दू असाढ़ सही भाव।कब खाबोन एला ते, वोदे कऊंवा करत हे कांव-कांव॥ […]