हुसियार बनके हुसियारी करव रे- बिजहा धान के रखवारी करव रे। करगा ल निमार फेकव, बन बदौरी ल चाली करव रे। लईका सियान मिलके बने, निस्तारी करव रे— सुमत के रद्दा म रेंगव, पिछवाव झन पूछी धरके, अगुवा बनव संगवारी चलव रे। मुहुकान ल तोपव झन, रद्दा ककरो रोकव झन। मुड़ी उपर चढ़हैईया ल, धरव […]
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कँपकँपाई डारे रे
कँपकँपाई डारे रे ….ए….. एसो के जाड़ा कँपकाई डारे। करा कस तन ला जमाई डारे। कँपकँपाई डारे रे….ए….. दाँत किनकिनावत हे नाक हा बोहावत हे।। गोरसी तीर बइठे बबा चोंगी सुलगावत हे।। सुरूर सुरूर ए दे पुरुवाई मारे रे। कँपकँपाई डारे रे….ए…… उगती ले बुड़ती होथे कुरिया ह नइ भावै। कतको ओढ़े कथरी ला निंदिया […]
हंडा पाय हे किथे सिरतोन ये ते लबारी
समझ नई परय काकर गोठ सिरतोन ये काकर ह लबारी, कोनों करते चारी, कोनों बड़ई त कोनों बघारथे सेखी अऊ हुसयारी। सियनहा मन ह गाँव के गुड़ी म चऊपाल जमाय रिहिस हे, मेंहा भिलई ले गाँव गेहव त ओकरे मन करा पायलगी करे बर चल देयेव। ओमेर शुकलाल, रामरतन, मनीराम अऊ किसन सियनहा बड़े ददा […]
कभू तो गुंगवाही
कईसे के बांधव मोर घर के फरिका, जरगे मंहगाई नेता मन करथे बस बईठका I कोनों दांत निपोरथे, कतको झिन खिसोरथे, कुर्सी म बैठके कुर्सी भर ल तोड़थे I अज्ररहा नेता कईके मंगतीन देथे गारी, गोसैईया किथे इही मन ताय हमर बिपत के संगवारी I तरुवा सुखागे मंहगाई के आगी म, उपराहा होगे लेड़गा के […]
नान्हे कहिनी : बदना
भव्यता के इतिहास लिए मनखे मनखे ल अँजोर करत जनमानस में अथाह बिसवास के नाव बदना के दाई बोहरही माई सबो मनखे बर एक तारनहार आय। आज ये जगा ह लोगन के आसथा अऊ भक्ति के प्रतीक माने जाथे, एक बार जेन ह ठाकुर देव बोहरही माई ल सुमर के बदना बदथे त जरूर ओकर […]
बड़का तिहार
परिया परगे धनहा भुईयां, दुख के बादर नई भागय रे भैय्या I काय तिहार अऊ काला जोहर, पेरावत हाबन सालों साल I ऐसो के किसानी जीव के काल, परगे संगी जब्बर अकाल I नांगर ओलहा के टूटगे फेर, काय तिहार अऊ काला जोहर I का संझा का बिहनिया, ताकते रहिथन मंझनिया, सुन ले गोठ ग […]
मया के अंजोर
तोर मोर मया के अँजोर संगी, निक लागय महकय अँगना खोर I नाचय पतंगा आरा पारा, चिरैया चहकय डारा डारा I बांधे कईसन तै बंधना के डोर, तोर बर मोर मया सजोर I तोर मोर मया के अँजोर संगी I2I पुन्नी के जईसे चमके चंदा, सावन मा बरसे रिमझिम बरखा I झर झर झरे मोती […]
गदहा के सियानी गोठ
पहिली मेंहा बता दौ घोड़ा अउ गदहा म का फरक हे, घोड़ा ह बड़ होशियार, सयाना अऊ मालिक के जी हजूरी करईया सुखियार जीव ये। आँखी कान म टोपा बांध के पल्ला दऊड़ई ओकर काम ये, भले मुड़भसरा गिर जही, मुड़ी कान फूट जही, माड़ी कान छोला जही फेर पल्ला भागे बर नई छोड़य। रद्दा […]
समे समे के गोठ ये
[responsivevoice_button voice=”Hindi Female” buttontext=”ये रचना ला सुनव”] सांच ल आंच काय हे जेन मेर गलत दिखते तेला बोले बर पड़ही, जेन ह हमर छतीसगढ़ के माटी के अपमान करही, जेन ह ईहाँ के मया ल लात मारही अऊ जेन मनखे ह ईहा के जर जमीन जंगल के सत्यानाश करे बर उमड़े हे तेने ह हमर […]
हाय रे मोर गुरतुर बोली
मोर बोली अऊ भाखा के मय कतका करव बखान, भाखा म मोर तीरथ बरथ हे जान ले ग अनजान। हाय रे मोर गुरतुर बोली, निक लागय न। तोर हँसी अऊ ठिठोली निक लागय न। मोर बोली संग दया मया के, सुग्हर हवय मिलाप रे। मिसरी कस मिठास से येमे, जईसे बरसे अमरीत मधुमास रे। ईही […]