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कविता

मोर गंवई गांव

बर, पीपर अउ लीम के बढिया होतिस छांव बबा, दाई मन कहिनी सुनातिन सुनतिस जम्मो गांव। हरेली, तीजा, पोरा, देवारी जेठौनी, होरी बने मनातेन भोजली, सुवा, करमा, ददरिया एक्के सुर म गातेन। सपना होवत जात हे संगी का मैं तोला बतावं जुर मिल के गोठियातिन सुग्घर अईसन गांव कहां ले लांव बर, पीपर अउ लीम […]