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कविता

तीजा के अगोरा

बेटी माई मनके आरूग तिहार
ताय तीजा ।
मईके के मया अऊ दुलार
ताय तीजा ।
पाख लगे हे सपना मा जईसन
उड़ान ताय तीजा ।
संगी जहुरियां सखी सहेली के
मिलान ताय तीजा ।
करू भात अऊ करेला के सुग्हर
साग ताय तीजा ।
फेर निरजला उपास के घलो
नाव ताय तीजा ।
मईके के फरिया के तको
मान ताय तीजा ।
गाँव के आबो हवा में घुले
एक मिठास ताय तीजा ।
ससुरार के सुख दुख ल छाँव मा बिसरायके
गोठ ताय तीजा ।
दाई के देहरी अऊ ददा के हिरदे मा
बईठे याद ताय तीजा ।
हमर छत्तीसगढ़ी लोक परम्परा के
जान ताय तीजा ।
मयारुक बेटी के तियाग,तपस्या
अऊ संसकार ताय तीजा ।
विजेंद्र कुमार वर्मा
नगरगाँव

2 replies on “तीजा के अगोरा”

आप मन के तीजा के अगोरा ला पढ़ मन गद गद होंगे वर्मा जी आप ला अंतस ले बधाई

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