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अनुवाद : रेड चीफ के फिरौती (The Ransom Of Red Chief)

RedChiefमूल कहानी – The Ransom Of Red Chief
कथाकार – O Henry
अनुवादक – कुबेर

बिचार बने हे, बने जिनिस सरीख। फेर जब तक मंय ह कुछू नइ कहंव, तंय मोर अगोरा कर। अगवा करे के ये बिचार ह जब हमर दिमाग म फूटिस, मंय अउ बिल ड्रिस्कल, अलाबामा के, खाल्हे दक्षिण भाग म रेहेन। बिल के अनुसार, जइसे कि पीछू वो ह प्रगट करिस – ’’छिन भर बर हमर मन म भूत सवार हो गे रिहिस हे।’’ फेर जउन ल बाद म हम कभू नइ पायेन।
उहाँ खाल्हे डहर एक ठन शहर रिहिस, समिट (शिखर, पहाड के चेटी़) नाम के, फेर बिलकुल मैदानी इलाका, जइसे फलालेन के रोटी ह होथे। इहाँ वइसने, सदा-सदा से रहत आवत आत्म संतोषी किसान मन के दल बसे रिहिन, जइसे कि मेपल म बसे हें।
बिल अउ मोर, तकरीबन छः सौ डालर के सम्मिलात संपत्ति रिहिस अउ शहर म ठग-फुसारी करके पइसा कमाय के एक ठन योजना खोले बर हमला दू हजार डॉलर के जरूरत अउ रिहिस। हमन होटल म पहिलिच येकर गोठ कर चुके रेहेन। एकदम साफ-साफ हमर कहना रिहिस कि अइसन आधा गंवईहा लोगन के बीच, अउ दूसर कारण से, अखबार वाले, जउन मन चारों मुड़ा तुरत-फुरत समाचार बगरा देथें, मन के पहुँच से बाहर, अगवा करे के काम बहुत आसान अउ सुरक्षित रिहिस हे। हम जानत रेहेन कि समिट म सिपाही अउ उंकर मरियल कुकुर अउ एक दू झन किसान मन ले जादा हमर कोनो कुछू नइ कर सकय। येकरे सेती ये जघा ह हमला सही जंचिस।
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हमन अपन शिकार बर एबेन्जर डोरसेट नाम के प्रसिद्ध नागरिक के एकलौता बेटा ल चुनेन। बाप ह सम्मानित अउ कड़कदार, भविष्य के सोचने वाला अउ कठोर, लखपति रिहिस। लइका ह दस बरिस के रिहिस, जेकर शरीर म उभार वाले चकता रिहिस, अउ वोकर चूंदी ह, वो पत्रिका के कव्हर के रंग के रिहिस, जउन ल आप अखबार वाले के दुकान से खरीदथव जब आप ल रेलगाड़ी पकड़ना होथे। बिल अउ मंय अनुमान लगायेन कि एबेन्जर ह फिरौती के दू हजार डालर देय बर तुरते मान जाही। फेर तब तक अगोर जब तक मंय ह नइ कहव।
समिट ले तकरीबन दू मील दुरिहा एक ठन छोटकुन पहाड़ी रिहिस। देवदार के घना झाड़ी ले ढंके हुए। ये पहाड़ी के पीछू डहर के हिस्सा म एक ठन गुफा रिहिस। उहाँ हमन खाय-पिये के सब समान जोर-सकेल के रख देय रेहेन। एक दिन सांझकुन सूरज उतरे के पीछू हमन डोर्सेट डोकरा के घर के आगू अपन बघ्घी म गेन। लइका ह गली म मिल गे, दूसर कोती के रूँधना डहर बिलई के बच्चा ऊपर पथरा फेंकत।
’’ऐ, छोटकू!’’ बिल ह किहिस – ’’का तंय कैंडी के बैग अउ बघ्घी चढ़ना पसंद करबे?’’
लइका ह बिल के आँखी ल ईंटा के टुकड़ा म तुकिस।
बिल ह बघ्धी म चढ़त किहिस – ’’येकर कीमत देय बर पड़ही डोकरा ल अब पाँच सौ डालर उपरहा।’’
वो लइका ह भारी बिगड़ैल भालू कस फाइटिंग करे के शुरू कर दिस; फेर आखिकार हम वोला बघ्धी म जोरेन अउ उहाँ ले भागेन। वोला हम ऊपर गुफा म लेगेन। मंय ह घोड़ा ल देवदार के पेड़ म बांध देंव। मुधिंयार होय के पीछू मंय ह बघ्धी ल तीन मील दुरिहा छोटे से वो गाँव म पहुँचाय बर गेंव, जिहाँ ले हमन वोला किराया म लेय रेहेन, अउ फेर मंय ह रेंगत वो पहाड़ी म वापिस आयेंव।
बिल ह अपन घाव अउ रोखड़ावल मन म मरहमपट्टी करत रहय। गुफा के मुहाटिच् म एक ठन बड़े सही चट्टान के पीछू आगी जलत रहय अउ वो लइका ह अपन लाल-लाल चूँदी म चिरई के दू ठन पंख ल खोंचे खौलत काफी के बरतन के निगरानी करत रहय। जब मय ह ऊपर आयेंव, लउठी ल धर के मोर कोती इशारा करत कहिथे – ’’ऐ! डरपोक, पींयर चेहरा (सेठरहा बानी) वाले, ये इलाका के आतंक, रेड चीफ के कैंप म घुँसे के तंय हिम्मत करेस?’’
’’वो ह अब पूरा ठीक हे।’’ अपन पाजामा ल ऊपर कोती लपेटत अउ पिंडरी के रोखड़ावल मन के जांच करत बिल ह किहिस – ’’हमन इंडियन ;Indian(1) नाटक खेलत रेहेन। हमन जादू के खेल करत रेहेन। मंय बिचारा डोकरा, शिकारी, रेड चीफ के कैदी, अउ बिहिनिया के होवत ले मोर मुड़ी के खाल ह नइ बांचे रहितिस। जेरोनिमो (Geronimo)(2) के कसम, ये लइका ह बड़ जोरदार किक मारथे।’’
हाँ, महोदय, जइसे वो लइका ल ये समय ह अपन जिंदगी के सबले बढ़िया समय लगत होय। वो गुफा के भीतर वोला जो मजा आवत रिहिस वो ह वोला ये बात ल भुला देय रिहिस कि वो ह एक कैदी आय। तुरंत वो ह मोर नाव धर दिस, बोटर्रा जासूस, अउ घोषणा कर दिस कि जब मैदान ले वोकर लड़ाका मन लहुट के आहीं, बेर उवते साट खूँटी म बांध के वो ह मोला आगी लगाही।
तब हम रात के खाना खाय बर बइठेन, वो ह मटन, रोटी अउ चटनी ल अपन मुँहू म भर लिस अउ गोठियाय के शुरू कर दिस। अउ रात के भोजन के बीच वो ह जउन भाषण दिस, वो ह अइसन रिहिस –
’’अइसने मजेदार चीज मोला पसंद हे। आज के पहिली मंय ह कभू बाहर नइ निकले रेहेंव; फेर मोर तीर सफेद रंग के एक ठन पालतू मुसुवा (pet ‘possum)(3) रिहिस, अउ पिछला जनम-दिन बर मंय ह नौ साल के रेहेंव। मोला स्कूल जाय से नफरत हे। मुसुवा ह जिमी आंटी के चितकबरी कुकरी के अट्ठारह ठन गार (अंडा) ल खा गे। का ये जंगल मन म वास्तविक इंडियन रहिथें? मोला अउ थोकुन चटनी चाहिए। का पेड़ के हाले-डोलेे ले हवा चलथे? हमार तीर कुकुर के पाँच ठन पिला रिहिन। तोर नाक ह अतेक लाल काबर हो गे हे, डोकरा, सूंत के गोला? मोर बाप तीर बिकट पइसा हे। का आसमान के वो चँदैनी मन ह गरम होथें? एडवाकर ल शनिचर के दिन दू घांव ले कोड़ा मारेंव। मोला टुरी मन ह बिलकुल पसंद नइ हें। बिना खपच्ची के तंय ह मेचका ल नइ धर सकस। बैला मन हल्लागुल्ला करथें? संतरा ह गोल-गोल काबर होथें? ये कंदरा म सुते बर तोर तीर बिस्तर हे? एमास मुरे के छः ठन गोड़ रिहिस। तोता ह बोल सकथे, पन बेंदरा या मछरी मन ह नइ बोल सकंय। बारह पूरे बर येला अउ कतका होना?’’
पाँच-पाँच मिनट म वो ह सुरता करतिस कि वो ह फुटबाल के खिलाड़ी आय, अउ अपन खेले के बंदूक ल तान लेतिस, अपन पंजा ल गुफा के मुँह कोती उचा लेतिस, ताकि पींयर चेहरा वाले टोपी पहिरे स्काउट मन ल किक मार सके। अब-तब वो ह लड़े खातिर ललकाररतेच रहय अउ भारी भयानक दिखय। वो लइका ह बिल ल तो शुरूच ले आतंकित कर चुके रिहिस।
’’रेड चीफ’’ मंय ह केहेंव – ’’का तंय अपन घर जाना पसंद करबे?’’
’’आँ…., काबर?’’ वो ह किहिस – ’’घर म मोला कोई मजा नइ आवय। मोला स्कूल से नफरत हे। मंय बाहर घूमना चाहथंव। तंय मोला फेर वापिस मोर घर नइ ले जा सकस, बोटर्रा आँखी। लेगबे?
’’अभी बिलकुल नहीं,’’ मंय ह केहेंव – ’’हमन अभी कुछ दिन इही गुफा म रूकबो।’’
’’बिलकुल ठीक,’’ वो ह किहिस – ’’एकदम बने होही, अपन जिंदगी म मोला अतका मजा कभू नइ आय रिहिस हे।’’
तकरीबन ग्यारह बजे हमन सोयेन। कुछ चौड़ा ब्लांकिट अउ रजाई बिछा के हमन रेड चीफ ला अपन बीच म सुतायेन। वोकर भाग जाय के हमला कोनो डर नइ रिहिस। वो ह कूदे, अपन राइफल ल धरे असन करे, जोर-जोर से चिल्लाय, अइसन करके वो ह हमला तीन घंटा ले जगाइस। ’’खबरदार! तेंदुआ,’’ मोर अउ बिल के कान म डंगाली टूटे के अउ पाना-पतउवा के सरसराय के अजीबो गरीब आवाज करे लगिस, अपन लड़कपन मति अनुसार अजब-गजब हरकत करे लगिस। अंत म मुश्किल से मोर नींद लगिस।
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’’बिलकुल पंगपंगाय के समय, बिल के जोर-जोर के सरलग चीख-पुकार ह मोला जगा दिस। वो मन, जइसे कि आप कल्पना करत होहू, गला से न तो चीखत रिहिन, न तो चिल्लात रिहिन, न तो, हुपहुपात रिहिन; वो मन तो जब कोनो महिला ह भूत नइ तो कनखजूरा ल देख के अशोभनीय, डरडरान, अउ अपमानजनक अवाज निकालथे तइसने आवाज निकालत रिहिन। बिहिनिया होय के समय गुफा के भीतर ले एक तगड़ा आदमी के मुँह ले अइसन आवाज निकलना बड़ा विचित्र लगिस।
का हो गे कहिके मंय ह झकनका के जाग गेंव। रेड चीफ ह बिल के चूँदी ल एक हाथ म पकड़ के वोकर छाती म बइठे रहय। दूसर हाथ म वो ह मटन कांटे के चाकू ल धरे रहय, अउ जइसे कि संझा कुन वो ह दावा करे रिहिस, वोकर मुड़ी के खाल उतारे के कोशिश करत रहय।
मंय ह वोकर हाथ ले चाकू ल नंगा के फेकेंव अउ वोला बगल म सुतायेंव, फेर वो घड़ी के बाद बिल के मनोबल टूट गे। हालाकि वो ह बगल म ढलंग गिस, फेर वोकर आँखी मन म टकटकी समा गे अउ जब तक वो लइका ह हमर संग रिहिस, वो ह एक घांव घला झपकी नइ ले सकिस। पल भर मंय ह झपकी मारेंव, फेर बेरा चढ़े के संग मोला सुरता आइस कि रेड चीफ ह केहे रिहिस कि बेरा चढ़े के बाद मंय ह कूढ़ी तीर तोला आगी लगाहूँ। मंय ह न तो डरे रेहेंव अउ न तो हताश होय रेहेंव, तभो ले उठ के बइठ गेंव अउ अपन पाइप ल सुलगा लेंव अउ चट्टान कोती निहर के देखे लगेंव।
’’सैम! काबर अतका जल्दी उठ गेस?’’ बिल ह पूछिस।
’’मंय,’’ मंय ह केहेंव – ’’ओह, मोर खांद म अजीब तरह के पीरा होवत हे, मंय सोचथंव कि उठ के बइठे म आराम मिलही।’’
’’तंय ह झुठल्ला हस।’’ बिल ह किहिस – ’’तंय ह डर गे हस। कि बेर उवते साट तोला भूँजहूँ केहे रिहिस हे, कहीं सचमुच मत भूँज देय। अउ वोला माचिस मिल जाही ते वो ह अइसन कर घला दिही। का ये ह बड़ा अचरज के बात नो हे, सैम? का तंय ह सोचथस कि अइसन राक्षस बरोबर लइका ल घर वापिस लाय बर कोनो ह फिरौती दे सकथे?’’
’’पक्का,’’ मंय केहेंव – ’’येकर समान गुंडा लइका ल देख के दाई-ददा के मति ह सठिया जाथे। अब तंय अउ रेड चीफ, दूनों उठव अउ नाश्ता बनाव, तब तक मंय ह पहाड़ के चोटी म जा के कुछू पता लगा के आवत हंव।’’
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मंय ह वो छोटकुन पहाड़ के चोटी म जा के, तीर-तखार म कोनों आदमी होय के आशंका म चारों मुड़ा नजर घुमा के देखेंव। मोला आशंका रिहिस कि समिट कोती ले गाँव के जमीदार ह पूरा दल-बल अउ हथियार के साथ कायर लइका चोर के खोज म निकले होही। फेर ये का, वो डहर माहौल ह एकदम शांत दिखिस, एक आदमी भर दिखिस जउन एक ठन मरहा सरीख ख्च्चर ल हंकालत आवत रहय। घाटी म कोई आदमी नइ दिखिस, चिंतामग्न माता-पिता डहर ले कोनो खबरिया कोनो खबर ले के नइ आवत दिखिस। उहाँ, अलाबामा के वो बाहरी इलाका के जंगल म, न चिरइ चांव करत रहय न कँउवा ह कांव करत रहय, जउन ह मोर नजरिया (तेज दिमाग अउ सूझबूझ) ल प्रगट करत रहय। मंय ह मने मन केहेंव – ’’शायद, घर ले अतका दुरिहा भेड़िया ह अब तक अपन मेमना के खोज नइ कर सके हे।’’ अउ मंय ह नाश्ता करे बर खाल्हे उतर गेंव।
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जब मंय गुफा म वापिस आयेंव, पायेंव कि बिल ह गुफा के बागल म हफरत खड़े रहय अउ वो बदमाश टुरा ह नरिहर बरोबर पथरा ल उबा के वोला धमकावत रहय कि तोला मंय ह पीस के रख दुहूँ।
’’वो ह मोर पीठ म डबकत उसनाय आलू ल डारिस,’’ बिल ह बताइस – ’’अउ अपन गोड़ म खूंद के रमजिस; अउ मंय ह वोकर कान म घँूसा जमायेंव।’’
मंय ह लड़का के हाथ ले वो पथरा ल नंगा के दुरिहा फेकेंव। वे ह बिल ल कहत रहय – ’’मैं ह तोला गड़िया देहूँ। आज तक कानों आदमी ह रेड चीफ ल हाथ नइ लगाय हे, अउ जउन ह अइसन करिस वो ह येकर कीमत चुकाइस। तंय अच्छा ढंग ले जानथस।’’
नाश्ता करे के बाद वो टुरा ह चमड़ा के एक ठन कुटका ल डोरी म लपेटिस अउ गुफा के बाहर जा के वोला खोलिस।
’’अब वो ह का करही?’’ बिल ल चिंता हो गे, किहिस – ’’का तंय नइ सोचस कि वो ह भाग जाही, कइसे सैम?’’
’’येकर कोनो डर नइ हे।’’ मंय ह केहेंव – ’’वोला घर के कोनों चिंता नइ हे। पन हमन ल फिरौती के बारे म कोनों योजना तय कर लेना चाही। येकर अपहरण ल ले के समिट के चारों मुड़ा कोनों हलचल नइ दिखिस। पन हो सकथे, वो मन ल येकर जाय के यकीन नइ होवत होही। वोकर आदमी मन सेचत होही कि ये ह जेन आंटी के घर रात गुजारत होही, या कि कोनों पड़ोसी के घर म। चाहे जो होय, आज येकर खोज खबर शुरू हो जाही। आज रात हमन ल येकर बाप तीर येकर फिरौती के दू हजार डालर के मांग के खबर भेज देना चाहिए।’’
तभे हमन एक तरह के ललकारे के आवाज सुनेन, जइसे कि डेविड ह गोलिएथ (King Herod)(4) ल हराय के समय ललकारे रिहिस होही। रेड चीफ ह अपन गुलेल ल अपन जेब ले निकाल के अपन मुड़ी के चारों मुड़ा जोर-जोर ले घुमाय लगिस।
मंय खुद ल बँचायेंव, अउ भारी धमाका सुनेंव अउ बिल के जबरदस्त हकरे के आवाज सुनेंव, जइसें कि जीन ल निकाले के समय घोड़ा ह हकरथे। अंडा अतका जबरदस्त पथरा ह बिल के डेरी कान के पीछू के काम तमाम कर देय रिहिस। बिल ह एकदम बेहोश हो के बर्तन धोय बर पानी डबकाय के कडा़ही के वो पार बरत आगी म धड़ाम ले गिर गिस। मंय ह वोला तुरते खींच के निकालेव अउ वोकर मुड़ी म आधा घंटा ले ठंडा पानी डारेंव।
बहुत जल्दी, बिल ह उठ के बइठ गे अउ अपन कान के पीछू कोती ल टमड़त कहिथे – ’’सैम, का तंय जानथस कि बाइबिल म मोर मनपसंद पात्र कोन हर आय?’’
’’गुस्सा मत कर,’’ मंय ह केहेंव – ’’पहिली तंय अपन होश म आ।’’
’’किंग हेरोड।’’ (King Herod)(5) वो ह किहिस – ’’मोला इहाँ अकेला छोड़ के तोला बाहर नहीं जाना चाहिये, जाबे का, सैम?’’
मंय ह बाहिर निकलेंव अउ वो टूरा ल धर के खूब झकझोरेंव जब तक कि वोकर चकती झर नइ गिस।
’’अगर तंय ठीक-ठाक नइ रहिबे’’, मंय ह केहेंव – ’’तोला सोज्झे तोर घर भेजवाहूँ। अब तोला सुधर जाना चाही, कि नहीं?’’
’’मंय तो खाली मजाक करत रेहेंव,’’ दांत निपोरत वो ह किहिस – ’’डोकरा ल चोंट पहुँचाय के मोर इरादा थोड़े रिहिस। फेर वो ह मोला मारे काबर रिहिस? बोटर्रा, तंय ह मोला घर मत भेजबे अउ आज मोला तंय ह ब्लैक स्काउट (Black Scout)(6) के नाटक खेले बर संग देबे तब मंय ह कोनो उपद्रव नइ करहूँ।’’
’’मंय ऐ खेल (नाटक) के बारे म नइ जानंव।’’ मंय ह केहेंव – ’’एकर बारे म तुम अउ बिल मिल के बिचार करव। विही ह आज खेले के तोर संगवारी आवय। मंय ह थोरिक बेर बर, बिजनेस के सिलसिला म बाहिर जाहूँ। भीतर आ, वोला अपन दोस्त बना, वोला चोंट पहुँचाय खातिर वोकर से माफी मांग, या फेर अभीचे, अपन घर जा।’’
मंय ह बिल अउ वोला, दुनों झन ल हाथ मिलवायेंव, अउ तब ििबल ल अलग लेग के वोला केहेंव – मंय ह इहाँ ले तीन मिल दुरिहा एक ठन छोटकुन गाँव, पोपलर केव जावत हंव, अउ जाने के कोशिश करहूँ कि समिट म ये अपहरण के बारे म का हलचल हे। मंय ह यहू सोचथंव कि डोकरा डोरसेट ल फिरौती के रकम अउ वोला पहुँचाय के तरीका के बारे म आजेच् चिट्ठी म लिख के भेजना घला जरूरी हे।
’’तंय ह जानथस, सैम,’’ बिल ह किहिस – ’’भूकंप म, आगी-पानी, बेईमानी म, घोर तकलीफ म, पुलिस के छापा म,, रेल डकैती म, अउ बवंडर म, सदा तोर साथ खड़ा होय हंव। मंय ह कभू अपन चेत लइ खोय हंव, जब तक कि दू गोड़ के ये खरतरिहा के हम अपहरण नइ करे रेहेन। ये ह मोला फेर चपकही। येकर संग तंय मोला जादा देर बर अकेला झन छोड़बे। सैम, छोड़बे का?’’
’’मंय ह वो जुवार तक जल्दी लहुट जाहूँ ,’’ मंय ह केहेंव – ’’तब तक तंय ह ये लइका ल कोनो तरीका ले बहला के राखबे अउ मोर आवत ले बिलकुल चंट रहिबे।’’ अउ फेर हमन बुढ़ुवा डोरसेट बर चिट्ठी लिखे बर बइठ गेन।
बिल अउ मंय कागज पेंसिल धर के काम म लग गेन जबकि रेड चीफ ह बिलांकिट ल अपन चारों मुड़ा लपेट के, गुफा के आगू, बेलबेलाय के शुरू कर दिस। बिल ह रोनहू सुर म मोर से निवेदन करिस कि फिरौती के रकम ल दू हजार डालर के बदला पंद्रह सौ डालर कर दिया जाय। ’’मंय ये कोशिश नइ करत हंव’’ बिल ह किहिस – ’’कि कोनो माता पिता के अपन बच्चा के प्रति स्वभाविक अउ नैतिक स्नेह के उत्सव मनाय के निंदा करंव, पर हमन एक आदमी के संग सौदा करत हन, अउ ये ह मानवता नो हे कि कोनो ह चालीस पौंड के अइसन बदमाश अउ चितकबरा जंगली भेंकवा बर दू हजार पौंड लुटा देय। तंय ह मोर बात ल खारिज कर सकथस।’’
बिल ल शांत करे बर मंय ह वोकर बात ल मान गेंव अउ दूनों मिल के चिट्ठी लिखेन जउन ह अइसन रिहिस –
इबेंजर डोरर्सेट,
हम तोर बेटा ल समिट से बहुत दुरिहा लुका के एक जघा रखे हन। चालाकी करना, या कि वोला खोजे बर जासूसी करना तोर खातिर बेकार हेे। वोला हासिल करे बर तोर तीर बस एके उपाय हे अउ वो शर्त ह अइसन हेः वोकर वापसी बर पंद्रह सौ डालर के एकमुस्त रकम हमला चाही। अपन जवाब म आजे आधा रात के ये रकम हमर बताय जगह अउ बाक्स म पहुँचा देबे – जइसन कि ये चिट्ठी म लिखाय हे। अगर तोला ये शर्त ह मंजूर हे, तब लिखित म अपन जवाब एक गुप्त खबरिया के जरिया आजे रात के साढ़े आठ बजे तक भेजवा देबे। ओल क्रीक पार करे के बाद, पोपलर कोव जाय के सड़क म, उहाँ लगभग सौ गज के घेरा म, जेवनी हाथ बाजू गहूँ के खेत के रूँधना से लगे हुए बड़े-बड़े तीन ठन पेड़ हे। रूँधना के खंभा के किनारे, तीसरा नंबर पेड़ के दूसर बाजू, एक ठन नान्हे कुन संदूक मिलही। खबरिया ह अपन संदेश ल विही संदूक म डाल के तुरंत समिट लहुट जाही।
अगर तंय चालाकी करे के कोशिश करबे, या हमर निर्धारित मांग ल पूरा नइ करबे, तंय अपन बेटा ल फेर कभू नइ देख सकबे।
अगर तंय हमर मांग ल पूरा कर देबे, तीन घंटा के भीतर तोर बेटा ह बिलकुल ठीकठाक तोर कना वापिस पहुँच जाही। ये शर्त ह आखिरी आय, अगर येला तोला नहीं मानना हे ते दूसरा कोनो बात के कोशिश नइ हो सके।
दो दुर्दान्त आदमी।
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डोरसेट के पता लिख के ये चिट्ठी ल मंय ह अपन जेब म रख लेंव। जाय बर निकलतेच् रेहेंव वोतका बेरा वो टूरा ह मोर आगू म आ के ठाड़ हो गे अउ केहे लगिस –
’’ऐ, बोटर्रा, तंय ह केहे रेहेस, मंय ह तोर संग ब्लैक स्काउट के खेल (नाटक) खेल सकहूँ, जबकि तंय ह जावत हस।’’
’’खेलव, जरूर खेलव,’’ मंय केहेव – ’’मि. बिल ह तोर संग खेलही। कोन प्रकार के खेल हरे ये ह?’’
’’मंय हरंव वो ब्लैक स्काउट,’’ रेड चीफ ह किहिस – ’’अउ मोला घोड़ा म ये अतराब म चारों मुड़ा घूम-घूम के अपन जमींदार मन ल सावधान करना हे कि इंडियन मन ह आवत हें। इंडियन नाटक खेल-खेल के मंय ह थक चुके हंव। मंय ह ब्लैक स्काउट बनना चाहत हंव।
बिलकुल ठीक,’’ मंय केहेंव – ’’ये ह मोर बर बने रही लगथे। मोर अनुमान हे कि मि. बिल ह वो जंगली मन ल हराय म तोर मदद करही।’’
’’मोला का करना पड़ही?’’ वो टूरा कोती संदेही नजर म देखत बिल ह पूछिस।
’’तंय ह घोड़ा आवस,’’ ब्लैक स्काउट ह किहिस – ’’हाथ अउ माड़ी ल निहरा। बिना घोड़ा के अपन इलाका ल मंय ह कइसे घूमहूँ?
’’वोला खुश रखना हे, तंय बने ढंग ले जानथस,’’ मंय केहेंव ’’ जब तक हमर योजना ह सफल नइ हो जाही, धीरज रख।’’
बिल ह अपन चारों हाथ-गोड़ ल निहरा लिस। वो ह जाल म फंदे खरागोश जइसे सेगसोगान दिखे लगिस।
’’छोकरा, तोर इलाका ह कतका दुरिहा हे? भरभराय गला म वो ह पूछिस।
’’नब्बे मील,’’ ब्लैक स्काउट ह किहिस – अउ खुद सोच ले उहाँ समय म पहुँचना हे। अभी रूक।’’
ब्लैक स्काउट ह कूद के वोकर पीठ म चढ़ गे अउ अपन एड़ी म वोकर बाजू मन ल एड़ियाय लगिस।
’’भगवान खातिर,’’ बिल ह किहिस – ’’जल्दी लहुटबे, सैम, जतका जल्दी हो सके। मंय तो कहिथंव, हजार ले जादा फिरौती नइ लेवन। बोल, मोला तंय अच्छा समझ कि बुरा।’’
मंय ह पोपलर कोव जा के पोस्ट आफिस कना बइठ गेंव। अउ व्यापार करे बर आय एक आदमी संग गोठियाय लगेंव, एक झन मुछक्कड़ ह कहिथे कि समिट ह एकदम हाल गे हे बुड़ुवा एबेंजर डोरर्सेट के बेटा के गंवाय के कारण, या चोरी होय के कारण। मोला अतकच् तो जानना रिहिस। मंय थोकुन माखुर बिसायेंव, करिया बटरा के कीमत पूछेंव, लुका के अपन चिट्ठी ल डारेंव, अउ बाहिर आ गेंव। पोस्ट मास्टर ह किहिस कि डाकिया ह डाक मन ल समिट पहुँचा के एक घंटा म आ जाही।
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जब मंय ह लहुट के गुफा म आयेंव, बिल अउ वो छोकरा ल नइ पायेंव। मंय ह वो मन ल गुफा के तीर-तखार म खोजेंव, अउ एक-दू घांव ले चिल्लायेंव, फेर उंकर डहर ले कोनों आरो नइ मिलिस।
हार के मंय ह अपन पाइप ल सुलगा के स्थ्तिि सुधरे के अगोरा म काई लगल पथरा के कोन्टा म बइठ गेंव।
तकरीबन आधा घंटा के बाद मंय ह झाड़ी डहर सुक्खा पाना के चरमराय के आवाज सुनेंव अउ बिल ह निकल के गुफा के आगू झूमे लगिस। वोकर पीछू-पीछू वो लइका ह घला स्काउट मन के समान अहिस्ता-आहिस्ता पाँव रखत, मुसकावत निकलिस। बिल ह थमिस, अपन टोपी ल उतारिस, अपन चेहरा ल लाल उरमाल म पोंछिस। वो छोकरा ह वोकर ले तकरीबन आठेक फूट दुरिहा म खड़े हो गिस।
’’सैम,’’ बिल ह किहिस – ’’मंय जानथंव, तंय ह सोचत होबे, मंय ह विश्वासघाती हंव, पन येमा मंय कुछुच् नइ करे हंव। मंय ह सियान आदमी, मरद के जात, खुद के रक्षा करना जानथंव, पन एक समय आथे जब अहम के भावना ह फेल हो जाथे। वो छोकरा ह चल दिस। मंय वोला वोकर घर भेज देंव। सब कुछ खतम हो गे।’’ बिल ह आगू किहिस – एक शहीद रिहिस, जउन ह घूस ले के मजा करे के बदला मौत ल चुनिस। वोमा कोनो घला ह वोतका असहनीय पीड़ा नइ सहे रिहिन होही, जतना अभी मंय ह सहे हंव। अपन लूटमारी के ये योजना खातिर मंय ह पूरा ईमानदार रहे के कोशिश करे हंव, पन अब हद पार हो गे रिहिस।’’
’’तोला तकलीफ का हे बिल?’’ वोला मंय ह पूछेंव।
बिल ह किहिस – ’’पूरा नब्बे मिल, एक इंच छोड़े बिना, मोर ऊपर घुड़सवारी करिस हे। तब, जब जमीदार मन ल राहत मिलिस हे, मोला बाजरा देय गिस। रेती ह स्वाद के जघा ले सकथे क? अउ तब घंटा भर मंय ह वोला समझाय के कोशिश करे हंव कि बिला म काबर कुछू नइ हे, कि सड़क ह कइसे दुनो डहर जाथे, कि कांदी ह हरियर काबर होथे। सैम, मंय ह तोला कहत हंव, केवल आदमिच् ह अतका सहि सकथे। वोकर नरी ल धर के मंय ह वोला घिरलात पहाड़ के खाल्हे लाय हंव। रास्ता म वो ह मोर माड़ी के खल्हे जबरदस्त लात मारत आय हे। मोर अंगठा ल वो ह दू-तीन घाव ले चाबे घला हे।’’
’’पन वो ह चल दिस,’’ बिल ह बोलतेच् गिस – ’’घर चल दिस। मंय ह वोला लात मार के, समिट कोती जाय के सड़क म लात मार के भगा देंव। मोला माफी देबे, हमन फिरौती के रकम ल गंवा देन। पर या तो वोला पागलखाना जाय बर पड़तिस, या बिल ड्रिस्कोल ल।’’
बिल ह हफरे अउ कहरे लगिस, फेर वोकर चेहरा म परम शांति दिखे लगिस, वोकर गुलाबी बदन ह खिल गे।
’’बिल,’’ मंय ह केहेंव – ’’तोर परिवार म कोनो ल दिल के बिमारी तो नइ हे, है?
’’नइ,’’ बिल ह किहिस – ’’मलेरिया अउ एक्सीडेंट के सिवा अउ कोनो तकलीफ नइ हे, काबर?’’
’’तब तंय ह अब चारों मुड़ा घूम,’’ मंय केहेंव – ’’अउ अपन पीछू कोती देख।’’
बिल ह मुड़क के वो छोकरा ल देखिस। वोकर रंग उड़ गे। वो ह धम ले जमीन म बइठ गे अउ फालतू-फालतू कांदी मन ल उखाने लगिस, तिनका मन ल टोरे लगिस। अइसने घंटा भर बीत गे। वोकर दिमागी हालत देख के मोला फिकर होय लगिस। तब मंय ह वोला अपन योजना के बारे म बतायेंव कि सब काम अब तुरंत निपट जाही, कि फिरौती के रकम ले के हम आधा रात तक इहां ले चल देबो, यदि डोकरा डोर्सेेट ह हमर प्रस्ताव ल मान जाही तब। तब बिल ह वो छोकरा डहर देख के हल्का-हल्का मुस्काइस अउ वोकर संग जापानी लड़ाई म रूसी (The Russian in a Japanese War)(7) नाटक खेले के वादा करिस।
फिरौती के रकम ल लेय बर मंय ह एक ठन बिना खतरा वाले योजना बनाय हंव काबर कि पुलिस वाले मन ह हमला धरे बर जरूर उहाँ खुद होके आय रहीं। वो पेड़, जिहाँ जवाबी चिट्ठी अउ बाद म फिरौती के रकम आही, बिलकुल सड़क के किनारे अउ खुला खेत के तीर हे। नोट लावइया ह दुरिहा ले दिख जाही। मंय ह खबरिया के अगोरा म साढ़े आठ बजे के पहिलिच् पेड़ म चढ़ के मेचका सही लुकाय रहूँ।
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बिलकुल नियत समय म एक झन लड़का ह सड़क म सायकिल म आवत दिखिस। वो ह बताय गे संदूक ल खोजिस अउ वोमा एक ठन मुड़े कागज ल डार के तुरते लहुट गिस।
एक घंटा बाद जब कोनो खतरा नइ दिखिस, मंय ह पेड़ ले उतरेंव, चिट्ठी सहित मंय ह एक घंटा म गुफा म लहुट आयेंव। चिट्ठी ह पेन से कोड़ो-बोड़ो लिखावट म लिखाय रिहिस अउ अइसन लिखाय रिहिसः
दुनों दुर्दान्त आदमी ल
जेंटलमेन हो, मोला आजे तुंहर भेजे चिट्ठी ह डाक से मिलिस हे जउन म मोर बेटा के फिरौती के बारे म लिखे हव। मंय ह सोचथंव कि तुंहर मांग ले तुमन थोड़कुन जादा ऊँचा हव। विही पाय के मंय ह जवाबी प्रस्ताव भेजत हंव, मोला उम्मीद हे येला तुम जरूर स्वीकार करहू। तुम जॉनी ल लेके मोर घर आ जाव (अउ फिरौती के रूप म) दू सौ पचास डालर नगद मोला भुगतान करव। मंय वोकर से तुमला छुटकारा दिला देहूँ। जादा अच्छा होही कि आजेच् रात म आ जाव। पड़ोसी मन बर वो ह गंवा गे हे। वोला तुंहला वापिस लावत देख के वो मन तुंहर संग का बर्ताव करही येकर जवादार मंय ह नइ हंव।
बहुत आदर सहित
इबेंजर डोर्सेट
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’’पेंन्जेन्स के महान समुद्री डाकू,’’ (Great Pirates Of Penzance)(8) मंय ह केहेंव – ’’सब हेकड़ी ह …..।’’
पर मंय ह बिल कोती देखेंव, अउ हिचकेंव। वोकर आँखीं मन म गजब के याचना के भाव रिहिस, जइसन कोंदा मन के आँखी म रहिथे।
’’सैम,’’ वो ह किहिस – ’’आखिर दू सौ पचास डालर म का रखे हे? हम अउ कमा लेबोन। ये छोकरा संग एक रात अउ बिताय के मतलब मय ह सीधा पलंग ले पागल खाना पहुँच जाहूँ। एक सभ्य आदमी के समान सोच, मंय ह सोचथंव कि डोर्सेट ह उदार हे अउ हमर संग सस्ता सौदा करे हे। तंय ह ये मौका के फायदा नइ उठास, कइसे?’’
’’तोला सच कहंव बिल,’’ मंय केहेंव – ’’कुछू समझ, ये टेटकू शैतान ह काली सांझ कुन ले मोरो दिमाग ल खा डरे हे। ठीक हे, येला येकर घर पहुँचा देबो, फिरौती दे के अपन रद्दा नापबोन।’’
हम वोला विहिच् रात कुन वोकर घर ले के गेन। वोकर बाप ह वोकर बर चाँदी के मुठिया वाले रायफल अउ एक जोड़ी पनही खरीदे हे अउ दूसर दिन हम भालू के शिकार करे बर जाबोन कहिके हम वोला मुश्किल से मनायेन।
वोतका बेर ठीक बारह बजे रिहिस हे जब हम इबेंन्जर के दरवाजा ल खटखटायेन। जउन समय ओरिजनल योजना के मुताबिक हम पेड़ के खाल्हे ले पंद्रह सौ डालर के संदूक उठात रहितेन विही पल बिल ह दू सौ पचास डालर नगद गिन के डोर्सेट के हाथ म रखत रिहिस।
जब हमला घर ले जावत देखिस तब वो बदमाश छोकरा ह उछल के बिल के टांग म अइसे चिपक गे जइसे जोंक ह चिपक जाथे। वोकर बाप ह वोला प्लास्टर के समान धीरे-धीरे छोड़ाइस।
’’येला कतिक समय तक पकड़ के रख सकथस?’’ बिल ह पूछिस।
’’पहिली जइसे अब मोर म ताकत नइ हे।’’ डोकरा डोर्सेट ह किहिस – ’’तभो ले दस मिनट के मंय ह वादा करथंव।’’
’’काफी हे,’’ बिल ह किहिस – ’’दस मिनट म तो मंय ह सेंट्रल, दक्षिणी अउ मध्य पश्चिमी राज्य ल पार कर लेहूँ अउ कनाडा के सीमा म पहुँच जाहूँ।
जतका अँधियारी रात, वोतका बिल के दँउड़ई अउ वोतकेच् मोरो भगई। समिट के बाहिर तकरीबन डेढ़ मिल दुरिहा मंय ह वोला सपड़ायेंव।
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संदर्भ सूची
1. INDIAN
अमेरिका के मूल निवासी, आदिवासी, जो सदा से उस धरती पर निवास करते आये हैं। बाद में अंग्रेजों ने उस भू भाग पर अपना आधिपत्य कायम करके उन आदिवासियों को अपना गुलाम बना लिया था। इन्हीं आदिवासियों को वहाँ इंडियन कहा जाता है।
[Native Americans in the United States are the indigenous peoples in North America within the boundaries of the present-day continental United States, Alaska, and the island state of Hawaii. They are composed of numerous, distinct Native American tribes and ethnic groups, many of which survive as intact political communities. The terms used to refer to Native Americans have been controversial. According to a 1995 U.S. Census Bureau set of home interviews, most of the respondents with an expressed preference refer to themselves as American Indians (or simply Indians – see Native American name controversy), and this term has been adopted by major newspapers and some academic groups; however, this term does not typically include Native Hawaiians or certain Alaskan Natives, such as Aleut, Yup’ik, or Inuit peoples.]
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2. Geronimo : – Apache के Chiricahua दल का महान आदिवासी नेता था। इनका जन्म संयुक्त राज्य के एरिजोना प्रान्त में 16 जून 1829 को तथा निधन 17 फरवरी 1909 में हुआ था।
[Geronimo] : Tribal chief
[Geronimo was a prominent leader of the Bedonkohe Apache who fought against Mexico and the United States for their expansion into Apache tribal lands for several decades during the Apache Wars.
Born: June 16, 1829, Arizona, United States
Died: February 17, 1909, Fort Sill, Oklahoma, United States.]
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3. ‘possums : ओपासम चूहे के समान दिखने वाला तथा पश्चिमी गोलार्ध में पाया जाने वाला जीवों की एक जाति है। इनकी लगभग 103 प्रजातियाँ पाई जाती हैं।
[Opossums make up the largest order of marsupials in the Western Hemisphere, including 103 or more species in 19 genera. They are also commonly called possums, though that term technically refers to Australian fauna of the suborder Phalangeriformes.]
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4. Goliath and David : गोलिएथ एक दैत्याकार फिलीस्तिनी योद्धा था। उसे इजरायल के भविष्य के सम्राट युवा डेविड ने हराया था। बाइबिल के इस प्रसिद्ध कहानी का सच्चा आशय डेविड को इजरायल के भविष्य के सम्राट के रूप में चिन्हित करना है।
[Goliath or Goliath of Gath is a giant Philistine warrior defeated by the young David, the future king of Israel, in Bible’s Books of Samuel. The original purpose of the story was to show David’s identity as the true king of Israel. Wikipedia.]
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5. Herod (73/74 ईसा पूर्व दृ 4 ईसा पूर्व द्ध रू हेरोड को महान् हेरोड और हेरोड प्रथम के नाम से भी जाना जाता है। प्रभु यिशु के जन्म के समय हेरोड यरूशलम का शासक था। इनके पिता का नाम एन्टीपेटर तथा माता का नाम साइप्रस था जो अरब के एक शेख की पुख्ी थी। हेरोड एक असीमित महत्वाकांक्षी व्यक्ति था तथा निर्दयी और पागल सम्राट के नाम से प्रसिद्ध था। बाइबिल में इसे पापी शासक कहा गया है। अपनी अतीव महत्वाकांक्षा की पूर्ति हेतु इसने अपने ससुर, दस पत्नियों और दो पुत्रों एवं अनेक प्रतिद्वंद्वियों की हत्या की। इसने प्रभु यिशु को भी जन्म के बाद मारने की योजना बनाई थी। इसने अपने शासन काल में कला व स्थापत्य के साथ ही साथ जनता की भलाई के लिए अनेक महान् निर्माण कार्य करवाया था।

(Hebrew: Hordos, Greek: He-ro-de-s), (73/74 BCE – 4 BCE), also known as Herod the Great and Herod I, was a Roman client king of Judea. He has been described as “a madman who murdered his own family and a great many rabbis”, “the evil genius of the Judean nation”, “prepared to commit any crime in order to gratify his unbounded ambition” and “the greatest builder in Jewish history”. He is known for his colossal building projects throughout Judea, including his expansion of the Second Temple in Jerusalem (Herod’s Temple), the construction of the port at Caesarea Maritima, the fortress at Masada and Herodium. Vital details of his life are recorded in the works of the 1st century CE Roman–Jewish historian Josephus .
Upon Herod’s death, the Romans divided his kingdom among three of his sons—Archelaus became ethnarch of the tetrarchy of Judea, Herod Antipas became tetrarch of Galilee and Peraea, and Philip became tetrarch of territories east of the Jordan.
Herod the Great was the villain in the Christmas story, a wicked king who saw the baby Jesus as a threat and wanted to murder him.
Although he ruled over the Jews in Israel in the time before Christ, Herod the Great was not completely Jewish. He was born in 73 B.C. to an Idumean man named Antipater and a woman named Cyprus, who was the daughter of an Arab sheik.
Herod the Great was a schemer who took advantage of Roman political unrest to claw his way to the top. During a civil war in the empire, Herod won the favor of Octavian, who later became the Roman emperor Augustus Caesar. Once he was king, Herod launched an ambitious building program, both in Jerusalem and the spectacular port city of Caesarea, named after the emperor. He restored the magnificent Jerusalem temple, which was later destroyed by the Romans following a rebellion in A.D. 70.
In the gospel of Matthew, the Wise Men met Herod on their way to worship Jesus. He tried to trick them into revealing the child’s location in Bethlehem on their way home, but they were warned in a dream to avoid Herod, so they returned to their countries by another route.
Jesus’ stepfather, Joseph, was also warned in a dream by an angel, who told him to take Mary and their son and flee to Egypt, to escape Herod. When Herod learned he had been outwitted by the Magi, he became furious, ordering the slaughter of all the boys who were two years old and under in Bethlehem and its vicinity.
Joseph did not return to Israel until Herod had died. The Jewish historian Flavius Josephus reported that Herod the Great died of a painful and debilitating disease that caused breathing problems, convulsions, rotting of his body, and worms. Herod reigned 37 years. His kingdom was divided by the Romans among his three sons. One of them, Herod Antipas, was one of the conspirators in the trial and execution of Jesus.
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6- Black Seminole Scouts, also known as the Seminole-Negro Indian Scouts, or Seminole Scouts, were employed by the United States Army between 1870 and 1914. Despite the name, the unit included both Black Seminoles and some native Seminoles. However, because most of the Seminole scouts were of African descent, they were often attached to the Buffalo Soldier regiments,[1] to guide the troops through hostile territory. The majority of their service was in the 1870s, in which they played a significant role in ending the Texas-Indian Wars.
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7- The Russo-Japanese War (8 February 1904 – 5 September 1905) was “the first great war of the 20th century.” It grew out of rival imperial ambitions of the Russian Empire and the Empire of Japan over Manchuria and Korea. The major theatres of operations were Southern Manchuria, specifically the area around the Liaodong Peninsula and Mukden; and the seas around Korea, Japan, and the Yellow Sea.
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8- The Pirates of Penzance : ’पेन्जेन्स का समुद्री लुटेरा’ – इसे The Slave of Duty के नाम से भी जाना जाता है। यह W. S. Gilbert द्वारा लिखित दो अंको वाला एक हास्य नृत्य-नाटक है। इसका नायक फ्रेडरिक एक करार के अनुसार 21 वर्ष की आवस्था में समुद्री लुटेरों से मुक्त होता है। उसकी मुलाकात मेबिल नामक सुन्दरी से होती है जो मेजर जनरल स्टेनली की पुत्री थी और दोनों में प्यार हो जाता है। प्रेडरिक का जन्म 29 फरवरी को हुआ था और वह अपना जन्म दिन तीन साल के बाद ही मना पाता था। लुटेरों को इस बात का पता चलने के बाद वे फ्रेडरिक को पुनः बंधक बना लेते हैं और वह 63 साल की अवस्था में मुक्त करते हैं। यह हास्य प्रधान नृत्य नाटक युरोप में काफी लोकप्रिय हुआ था। इसका संगीत Arthur Sullivan and libretto ने तैयार किया था।
The Pirates of Penzance
[The Pirates of Penzance; or, The Slave of Duty is a comic opera in two acts, with music by Arthur Sullivan and libretto by W. S. Gilbert. The opera’s official premiere was at the Fifth Avenue Theatre in New York City on 31 December 1879, where the show was well received by both audiences and critics. Its London debut was on 3 April 1880, at the Opera Comique, where it ran for a very successful 363 performances, having already been playing successfully for over three months in New York.
The story concerns Frederic, who, having completed his 21st year, is released from his apprenticeship to a band of tender-hearted pirates. He meets Mabel, the daughter of Major-General Stanley, and the two young people fall instantly in love. Frederic finds out, however, that he was born on 29 February, and so, technically, he only has a birthday each leap year. His apprenticeship indentures state that he remains apprenticed to the pirates until his 21st birthday, and so he must serve for another 63 years. Bound by his own sense of duty, Frederic’s only solace is that Mabel agrees to wait for him faithfully.]
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KUBERकथाकार – कुबेर
जन्मतिथि – 16 जून 1956
प्रकाशित कृतियाँ
1 – भूखमापी यंत्र (कविता संग्रह) 2003
2 – उजाले की नीयत (कहानी संग्रह) 2009
3 – भोलापुर के कहानी (छत्‍तीसगढ़ी कहानी संग्रह) 2010
4 – कहा नहीं (छत्‍तीसगढ़ी कहानी संग्रह) 2011
5 – छत्‍तीसगढ़ी कथा-कंथली (छत्‍तीसगढ़ी लोककथा संग्रह 2013)
प्रकाशन की प्रक्रिया में
1 – माइक्रो कविता और दसवाँ रस (व्यंग्य संग्रह)
2 – और कितने सबूत चाहिये (कविता संग्रह)
3 – ढाई आखर प्रेम के (अंग्रेजी कहानियों का छत्तीसगढ़ी अनुवाद)
संपादित कृतियाँ
1 – साकेत साहित्य परिषद् की स्मारिका 2006, 2007, 2008, 2009, 2010
2 – शासकीय उच्चतर माध्य. शाला कन्हारपुरी की पत्रिका ’नव-बिहान’ 2010, 2011
सम्मान
गजानन माधव मुक्तिबोध साहित्य सम्मान 2012, जिला प्रशासन राजनांदगाँव
(मुख्‍यमंत्री डॉ. रमन सिंह द्वारा)
पता
ग्राम – भोड़िया, पो. – सिंघोला, जिला – राजनांदगाँव (छ.ग.), पिन 491441
संप्रति
व्याख्याता,
शास. उच्च. माध्य. शाला कन्हारपुरी, वार्ड 28, राजनांदगँव (छ.ग.)
मो. – 9407685557
E mail : kubersinghsahu@gmail.com