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व्यंग्य

व्यंग्य : सरकारी तिहार

भारत देस तिहार अउ परब के देस हरे।अउ हमर छत्तीसगढ़ म तो बरमस्सी परब रथे।आनी-बानी के तिहार मनाथन हमन इंहा।पहिली सिरिफ पुरखा के बनाय तिहार मानत रेहेन फेर धीरलगहा संडे तिहार,चांउर तिहार,रुख-राई तिहार,भेलेनटाईन तिहार ,बिकास तिहार अउ एसो बोनस तिहार ल घलो मनाय बर सीखेन।अउ जेन मनखे संझौती बेरा पाव भर चढा लेथे ओकर बर तो रोज दिन तिहार हरे।अभीचे देवारी अउ बोनस तिहार संघरा मनाय हन ।वइसे देवारी तिहार तो हर बच्छर आथे फेर बोनस तिहार पांचसल्ला हरे।अभी तक देखब म आय हे कि ए तिहार ह चुनई तिहार के बच्छर भर पहिली आथे।एसो बोनस तिहार के गरह-नछत्र बइठिस काते!साल पुट अवइय्या देवारी तिहार म गजब उछाह रथे त पांचसल्ला परब के तो बाते झन पूछ!!




बडे बिहनिया ले जुगरू भइया नहा के तियार होगे रहय।मेंहा जान डरेंव कि एहा बोनस झोंके बर अतेक संवागा करे हवय।बिहनिया ले जेकर आंखी म ठोमा भर चिपरा राहय तेकर आंखी आज मार एलीडी बलफ बरोबर जुगुर-जुगुर बरत राहय।आज तो ओहा बरम मुहूरत म अस्नान कर डरे रिहिसे काते।
तरिया डाहर नहाय बर जावत रेहेंव त एकझन कका बाट म अमरागे।ओहा लकर-धकर के मारे अपन कपडा ल तरिया म भुलाके आगे रहय।मोला देखके कथे-मोरो बनयई ल ले आनबे बेटा!!बोनस तिहार के चक्कर म भुला गेंव।अतका बता के ओहा रेंग दिस।में ह सोचेंवअतका निसा हे मनखे ल बोनस तिहार के कि पागी-पटका के सुध नइहे।
थोरिक देर म का देखथंव पुरा के पूरा गांव ह कचरा बरोबर टेक्टर म जोरा के बोनस तिहार देखे बर जावत राहय।एक झन मनखे ह पोट-पोट करत सियनहा ल बरपेली फटफटी म बइठार के लेगत राहय।में ह एक झन कका ल पूछेंव- कका!ये हा कोन हरे ग?अउ बरातू बबा ल काबर लेगत हे?
ओहा बताइस-ओहा बरातू के दमांद हरे ग!डोकरा के एको झन बेटा नइहे।एके झन बेटी अउ दमांद हवय।ओकर बेटी ह डोकरा ल लेगहूं किहिस त ओकर इही घरवाला ह नी राखन कहि दिस।डोकरा ह खेत खार ल रेगहा बेंच के अपन गुंजाइश चलाथे।ओकरे खाता म उंकर रेगहा वाला मन ह अपन धान ल बेंचथे।पाछू बच्छर घलो धान बेचाय रिहिसे।ओकरे बोनस बर तो आय हे ललचाहा दमांद ह।
कका के गोठ ल सुनके सोंचेंव।वा रे मनखे!सिरिफ सुवारथ के संगी हरे मनखे के जात ह!जब कखरो ले फयदा होही त कुकुर बरोबर आगू पाछू घुमही अउ सुवारथ पूरा होय के बाद उही ल लात मार देथे।




सरकार ह मनमाने परचार करत हे बोनस तिहार के।मुठा-मुठा पइसा धरे मनखे छकत ले खावत -पियत हे।सरकार के पइसा फेर घूम फिर के सरकार कना जावत हे।जेन दिन ले बोनस के पैसा मिलत हे दारू भट्ठी म कुंभ मेला सरीख भींड चलत हे।
दरुवाहा मन जघा-जघा परे हवय।स्वच्छता अभियान के मारे बिटाये कुकुर मन इंखरे आजू -बाजू म बईठ के ओमन ल चांटत रथे।गांव के माहोल बिचित्र होगे हे।कतकोहोन मनखे के थोथना ओरमे हे काबर कि ओमन पर के खाता म धान बेंचे हवय।उंकर बोनस बूडगे।कतको पर के धान ल अपन खाता म बेंचे हे तेकरे सेती अंटिया के रेंगत हवय।पूरा बोनस सिरफे उंकर होगे रहय।
जेन बेपारी मन किसान के खाता म कमीसन देके धान बेचे रिहिन तेमन बोनस के थोक-बहुत पैसा के आस में किसनहा के आगू पाछू रेंगत रहय।कमीसन खाके माटी महतारी अउ सासन के संग गद्दारी करइया मनखे मन फोकट के पैसा ल मिहनत के पैसा बरोबर चिमोट के राखे रहय।सही म पैसा पैसा होथे।चाहे ईमान के हो या बईमानी के।तुरते हांथ ले नी छूटे।दू झन ललचाहा के लार फोकट के पैसा बर लामे रहय।बेपारी ह दोगलई करत धन बनावत हे।कमीसनखोर कमीसन लेवई म मस्त हे।जनता पीयई-खवई म बियस्त हे।सासन करजा लेवई म पस्त हे।फेर का करबे?जम्मो के खुसी के सवाल हे।
एक झिन बबा ल पूछेंव-कस बबा!तेंहा बोनस तिहार नी मनावस ग?




ओहा अपन आंखी ले आंसू पोंछत किथे-का तिहार मनाहूं बेटा!पाछू बच्छर मोर छोटे बाबू ह बीमार परे रिहिसे।ओकर बांटा खेत-खार के जम्मो धान ल बेंचके ओकर इलाज करायेंव।सुसयटी म बेंचे ले जम्मो पैसा उधारी म कट जाही अउ तुरते पैसा के जुरूरत के सेती औने-पौने भाव म बेपारी कना धान ल बेचेंव।तभो ले ओला नी बंचा सकेंव।परिहार साल के बोनस ह समे म मिले रतिस त को जनी ओकर परान कहूं बांच जतिस?फेर का करबे नी मिलिस।खातू-कचरा के करजा म लाद के अपन बनौकी बना डरिस अउ मोर टोंटा के फांसी होगे।एसो के धान-पान म ठिकना नीहे त बोनस के का उम्मीद करहुं।
बडका बाबू ल कतका बोनस मिलही ते उही जाने!फेर ओहा तो रोज कोठी के धान ल बेंच के मनमाने दारू पीयत हे।ओकर बर तो रोजेच तिहार हवय।बोनस तिहार ह तो ओकर बर अउ मजा हो जही!!पी-खाके आही अउ घर ल दंदोरही।
बबा के गोठ ल सुनके मोरो आंसू चुहिगे।मोला लहुटत खानी बबा चेताइस-ए कलजुग हरे बेटा!कोनो कखरो बर फोकट म कुछू नी करय।किसान ह उपराहा धान पाय बर खेत म धान छीतथे अउ ओकर जतन करथे वइसन ढंग ले नेता मन उपराहा बोट पाय बर बीजहा छीतथे।किसान अपन फसल म खुस रिथे ।नेतामन अपन फसल म खुस रिथे।

रीझे यादव
टेंगनाबासा(छुरा)493996
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