Categories
व्यंग्य

व्यंग्य : बटन

जब ले छुए वाला (टच स्क्रीन) मोबईल के चलन होय हे बटन वाला के कोनो किरवार करईया नइ दिखय। साहेब, सेठ ले लेके मास्टर चपरासी ल का कबे छेरी चरईया मन घलो बिना बटन के मोबईल म अंगरी ल एति ले ओति नचात रहिथें। अउ काकरो हाथ म बटन वाला मोबईल देख परही त वो ल अइसे हिकारत भरे नजर ले देखथे जानोमानो बड़ भारी पाप कर डारे होय।
फेर ये बटन नाम के जिनिस हमर जिनगी म कइसन कइसन रुप लेके समाय हे, सब जानथे। हमर दिन के शुरवात घलो तो टीबी के रेडियो के बटने ले होथे। दिन भर के काम बुता ले रतिया सुतत बेरा म लट्टु चिमनी के बुताय के बटन। कुरता म, पइट, सलोखा म, जाकेट म, एलउज बेलउज म तो बटन के महत्तम सबले जादा पाबे। एकरे सेवा भावना ले हम इज्जतदार कहात हन। जब कहुं ए बटन हमर कपड़ा संग काम करे बर मना कर दिही ते दिन हमर लाज उपर वाला के हाथ।




घर म जब कहुं नान्हे लइका मन बिटाय, उही बटन वाला फोन ल धरा देंवय। कुछु जाने या झन जाने (कीपेड) के “टूं टूं..! ल सुनके लइका मन मगन खेले बर धर लेंथय। भले कभू कभू इंकर मसकई म खाता म पइसा (बेलेंस) जम्मो कट जाथे। अइसने हमर एक झन परोसी घलो मोबईल ल धरके जे नीही ते बटन ल हुदरत कोचकत रहिथे, अउ ए दारी का होइस जानथव, फट ले ‘पांच अरब डालर’ के बेलेंस कट तो गे । गेज ले दांत ल नीपोर दिस। वो दिन ले ओकर मुहु ह अंईलाहा चेंच भाजी कस ओरमे हे।

आज काली दुनिया म बरन बानी के बटन आगे हवय।अलग अलग परकार के, अलग रंग के।का करिया, का हरियर, का सादा, का भगवा।जिसन नीही तिसन। जउन ल जइसन संउक,वइसन ल बउरो।अउ ए बटन सिरिफ बिग्याने के बिसय नइ होय रे भईया, भूगोल इतिहास बर घलो वोतके कारगर हवय। एक बटन म सौ दू सौ बछर जुन्ना परेत ल, परेतिन ल जियाय जा सकत हे। अउ ते अउ कोनो ल परेत परेतिन बनाय घलो सकत हें।




नवा जमाना म बटन के रुप घलो बदलत हे। कई ठिन नाव होगे। काम घलो अलग होवत हे। ईज्जत ढांके बर मुख्य कार्यकर्ता बनके आगु म खड़े पावन। फेर अब तो काकरो ईज्जत उतारे बर, कोनो ल डरवाय बर, धमकाय बर, एकर उपयोग करे जात हे। कोनो संदुक म तोप ढांक के राखे हे, कोनो आलमारी पठेरा म त काकरो आपिस के टेबल म माढ़े हे, अउ कोनो तो थैली म धरे किंजरत हे। जे ला देखबे, बटन चपकिच दुंहू कस करथे।अरे चपकना हे त चपक न रे भईया, के सिरीफ भाषने मारबे? आज काली भाषन मारे के घलो बटन बना डारे हंवय हमर बिग्यानिक नेता मन।कोन बटन कब दबाना हे सब जानबा रथे। फेर समय के संग जनता घलो हुसियार होवत हे, अइसने बटन वाला नेता ल बटने दबा के बटेरे बर मजबूर करदेथें ।

ये दुनिया के सिरजन कइसे होइस होही येला तो हम नइ जानन, फेर नाश तो बटने ले होही अइसे लागथे।हे दुनिया के मालिक! देख तोर संसार म हर मनखे के हाथ म कंही न कहीं के बटन हाबे। बिनती हे तोर ले जउन बटन म परमारथ के भावना मिले उही काम करे, सुवारथ के, लालच के,हिंसा के कुकरम के, जगत के अहित करईया बटन ल नंगाके ते धर लेबे!
कोनो ल बटन के घमंड मत राहय।

ललित नागेश
बहेराभांठा (छुरा)
493996
[responsivevoice_button voice=”Hindi Female” buttontext=”ये रचना ला सुनव”]