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जानव इतिहास के वो पांच कठोर प्रताड़ना, जउन ल महिला मन झेलिन : मशीनी अनुवाद

जाने इतिहास के ओ मन पांच कठोर प्रताड़नाएं, जिन्हें महिलाओं हर झेला
वैसे तो 29 दिसंबर के तारीक कई घटना बर याद के जाती हावे, लेकिन महिला अधिकारों बर एखर तारीक ल ऐतिहासिक माना जात हावे। 29 दिसंबर 1975 ल दुनिया मं पहली बार ब्रिटेन मं एक ऐतिहासिक कानून लागू करे गीस था, जेमां समाज अऊ नौकरी मं महिलाओं ल समानता के दर्जा दे के कानूनी प्रावधान करे गीस था।

‘द सेक्स डिस्क्रिमिनेशन एन्ड ईक्वल पे’ क़ानून के प्रावधानों के लागू होए के बाद एके नौकरी बर पुरुषों के मुकाबले महिलाओं ल कम वेतन देना ग़ैरकानूनी हो गीस। ये वाले पहली बार अइसन प्रयास था, जेमां महिलाओं के हित बर कदम उठाए गे थे। एखर से पहिली मानव इतिहास मं कभी घलोक महिलाओं के विशेष कानून के निर्माण नइ कराया गीस था, बल्कि हमेशा ही उपभोग के चीज ही समझा गीस।

जब से मानव समाज के निर्माण होय हावे, तभी से सामाजिक व्यवस्था म पुरुषों के ही वर्चस्व रहा हावे। महिलाओं हर हमेशा ही दोयम दर्जे के जिंदगी ही जी हावे। कुप्रथाओं के नाम म दुनियाभर मं महिलाओं हर कई अइसन भयानक प्रताड़नाएं झेली हावे, जऊन ल सुनने मात्र से रूह कांप जाव। आइए जानते हावे अइसन ही पांच कठोर प्रताड़नाएं…

एथेंस मं जन्म लेते ही लड़की के हत्या
प्राचीन एथेंस मं ये वाले प्रथा बहुत आम थी कि नवजात बच्ची के जन्म होए ओला मार दे जात था या जंगल मं छोड़ दे जात था। एक यूनानी लेखक हर लिखे हावे कि हर कोनो ओ समय बेटा ही चाहता था, चाहे वो गरीब हो या अमीर। यूनान मं कुछ अइसन ऐतिहासिक कागद घलोक मौजूद हावे, जेखर से लिखे गीस हावे कि रोमन समाज के गरीब से गरीब कुटुंब घलोक बेटियों ल हेय दृष्टि से देखता था। बेटियों ल पालना ओ मन बोझिल काम समझते थे।

इहां तक कि इजिप्ट मं घलोक, जहां फिलहाल महिलाओं ल समान अधिकार दे गे हावे, वहां घलोक महिलाओं के खिलाफ बेहद क्रूरता थी। इजिप्ट मं लड़का पैदा होए म ओला जीने दे जात था, लड़की पैदा होत ही खतम कर दे जाती थी।

मासिक धर्म मं एकांतवास
61 ईस्वी सन् मं पैदा हुए रोमन दार्शनिक प्लीनी हर लिखे हावे कि रोमन समाज मं मासिक धर्म वाले महिला के अशुद्ध व अपवित्र माना जात था। उन्होंने तो ये वाले घलोक लिखे हावे कि मासिक धर्म वाले महिला ल एक विशेष झोपड़ी मं कैद होकर रहना पड़ता था, क्योंकि तत्कालीन समाज मं अइसन मान्यता थी कि यदि अइसन महिला कोनो ल देख ले, तो ओखर मौत हो जाही।

एही जइसन प्राचीन मिस्र मं घलोक मासिक धर्म के समय महिलाओं के विशेष रूप मं निर्मित झोपड़ियों मं रहना पड़ता था, एखर दौरान ओ मन ल पुरूषों से मिलने के अनुमति नइ थी। वहीं इजराइल मं मासिक चक्र के समय कोनो घलोक घरेलू चीज ल छूने के अनुमति नइ थी। हवाई द्वीप म जऊन पुरुष अइसन महिलाओं के निवास मं प्रवेश कर जात था, ओ मन ल मौत के सजा तक दे दे जाती थी।

कौमार्य खोने म मौत के सजा
प्राचीन एथेंस मं यदि महिला शादी के पहिली यौन संबंध स्थापित कर लेती थी तो ओला मौत के सजा दे दे जाती थी अऊ ये वाले सजा अऊ कोनो नइ बल्कि खुद लड़की के पिता ही दिलवाता था। एखर अलावा पिता ल ये वाले घलोक अधिकार मिल जात था कि वो अपन बेटी ल गुलाम के रूप मं बेच सके था।

वहीं समोआ द्वीप अइसन घलोक प्रथा प्रचलित थी कि पुरुष शादी से पहिली अपन होए वाले पत्नी के कौमार्य के जांच करवा सके था। समोआ मं एखर जनजाति के प्रमुख शादी के समय सब्बो मेहमानों के बीच मं लड़की के कौमार्य के परीक्षण कर एखर पुस्टि करे था।

रोम मं यदि कोनो महिला 30 साल के पहिली अपन कौमार्य खो देती थी, तो ओला जिंदा दफन कर दे जात था। प्राचीन इजराइल मं शादी से पहिली यौन संबंध बनाए म युवती ल पत्थरों से मारकर मौत के सजा दे जाती थी।

दुल्हनों के होता था अपहरण
चीन के कुछ इलाकों मं 1940 तक दुल्हनों के अपहरण कर ले जात था। कुछ अइसन प्रताड़ना जापान मं घलोक नवा नवेली दुल्हनों के साथ होती थी। जापान मं एखर जइसन के आखरी मामला 1959 मं दर्ज करे गीस था। एखर अलावा 1800 ईस्वी तक आयरलैंड मं घलोक दुल्हनों के चोरी एक गंभीर समस्या थी।

ईसाई धर्म ग्रंथों मं घलोक कुंवारी महिलाओं ल पाय बर पूरा गांवों मं कत्लेआम से संबंधित कहानियों के उल्लेख हावे। एखर जइसन के महिला अपराधों मं रोम घलोक अछूता नइ था, रोम मं घलोक शादी के समय दुल्हनों के अपहरण कर ले जात था।

भारत मं सती प्रथा
भारत मं 19 वीं सदी तक सती प्रथा के नाम म कई महिलाओं ल जिंदा जला दे गीस। प्राचीन हिंदू समाज मं ये एक घिनौनी थी, जेमां पति के मौत म ओखर चिता म पत्नी ल घलोक जिंदा जला दे जात था या कुछ महिलाएं खुद ही अपन पति के चिता मं कूद कर आत्मदाह कर लेती थी।

अइसन महिलाओं ल सती (देवी) के दर्जा दे जात था। समाजसेवक राजा राममोहन राय हर सबसे पहिली एखर कुप्रथा के खिलाफ अवाज उठाई थी अऊ आंदोलन चलाय। ओही के प्रयास से 1829 ई. मं विधवाओं ल जीवित जिंदा जलाना अपराध घोषित कर दे गीस।