चिड़िया रानी बड़ी सयानी , दिनभर पीती पानी। दाना लाती अपना खाती, बच्चों को संग खिलाती । चिड़िया रानी चिड़िया रानी —-।। सुबह सुबह से , चींव चींव करके। सबको सपनों से जगाती, चिड़िया रानी चिड़िया रानी ।। आसमान की सैर करती, बाग बगीचों में घूमा करती। रंग बिरंगी फूल देखकर , मीठी मीठी गीत […]
Day: February 10, 2019
यमराज ला होगे मुस्किल
भगवान भोलेनाथ कर विष्णु जी हा एक दिन पहुँचिस अउ महादेव ला कहिस-हे त्रयम्बकेश्वर! एक विनती करेबर आय हँव।महादेव कहिस- काय बात आय चक्रधर! आज आप बहुतेच अनमनहा दिखत हव।अइसे कोन बूता आय जौन ला आप नइ कर सकव।विष्णु जी कहिस- का बताँव महराज! ये यमराज हा उतलंग नापत हे। जतका हमर भगत हे, सब […]
बसंत उपर एक छत्तीसगढ़ी ग़ज़ल
आ गे बंसत कोयली गात घलो नइ हे। संगी के गोठ अब , सुहात घलो नइ हे। सेमर न फूले हे, न परसा ह डहकत हे, आमा के माऊर हर, भात घलो नइ हे। हाथ मा हाथ धर, रेंगे जउन मोर संग, का होगे ओला, बिजरात घलो नइ हे। मनखे ले मनखे दुरिहावत हावै संगी, […]
बसंत पंचमी के तिहार
बसंत रितु ल सब रितु के राजा कहे जाथे। काबर के बसंत रितु के मौसम बहुत सुहाना होथे। ए समय न जादा जाड़ राहे न जादा गरमी। ए रितु में बाग बगीचा सब डाहर आनी बानी के फूल फूले रहिथे अउ महर महर ममहावत रहिथे। खेत में सरसों के फूल ह सोना कस चमकत रहिथे। […]